किधर चली माँ शेर सजा के
किधर चली माँ शेर सजा के जगंल नु,
पांवा फुला दे हार आजा मन्दिर नु…-
किधर चली माँ शेर सजा के जगंल नु……..
माँ तन दा भवन बनावां विच आसन तेरा लांवा,
ऐनां नयनां दे दो दरवाजे माँ तेरे भवन नु लांवा…-
दाती तेरे मन्दिर नु,
पांवा फुला दे हार आजा मन्दिर नु,
किधर चली माँ शेर सजा के जगंल नु……
माँ सूरज चन्दा आये तेरे लिऐ हार लियाये,
तेरी जोती दे अगे अगे दोवां ने शीश झुकायें….-
दाती तेरे मन्दिर नु,
पांवा फुला दे हार आजा मन्दिर नु,
किधर चली माँ शेर सजा के जगंल नु……
माँ आंवी सावन रुते मैं वारां मोती सुच्चे,
माँ दर्श तेरे दे खातिर आवां ऊचियां पहाङा ऊते….-
दाती तेरे दर्शन नु,
पांवा फुला दे हार आजा मन्दिर नु
किधर चली माँ शेर सजा के जगंल नु
पांवा फुला दे हार आजा मन्दिर नु……
