खाटू में ग्यारस की रात जो आती है

  • Khatu Mein Gyaras Ki Raat Jo Aati Hai

खाटू में ग्यारस की रात जी आती है
कीर्तन की ताली से महफ़िल गूँज जाती है
बाबा जब सजधज कर दरबार लगता है
हर प्रेमी दीवाना बनकर झूम जाता है

खाटू की महिमा क्या मैं सुनाऊँ
अपने ही दिल की बात बताऊँ
बिन बोले बाबा सब सुन लेता
प्रेमी के मन को पल में पढ़ लेता
सावरिया से आँखें जब यूँ मिल जाती है
कीर्तन की ताली से महफ़िल गूँज जाती है

जबसे मिला है तेरा सहारा
हारे का साथी श्याम हमारा
बिन तेरे नैया डगमग डोले
आजा ना बाबा दिल मेरा बोले
भक्तों के खातिर ये दौड़ा आता है
हर प्रेमी दीवाना बनकर झूम जाता है

जो कहने आये वो कह ना पाए
बातें दिलों की दिल में रह जाए
ऐसा लगे जैसे जन्नत मिली हो
संजीव पे बाबा की किरपा बनी हो
बरस पे हर प्रेमी जब घर को जाता है
दो आंसू तेरे चरणों में छोड़ आता है
खाटू में ग्यारस की रात………….

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