कशी नाथ हे विश्वेश्वर करूँ मैं दर्शन आकर

  • kashinath he vishveshvar karun main darshan aakar

मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर
कशी नाथ हे विश्वेश्वर करूँ मैं दर्शन आकार
मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर

टिका राखी त्रिशूल पर कशी, यह तीरथ धाम तुम्हारा
नंगे पाँव गंगा जल के कर आता कावड़िया प्यारा
मुक्ति धाम कहते काशी को, आया तुम्हारे दर पर
मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर

जो भी तुमने दिया मुझे है, मैं वोही सौंपने आया
वारुणी ऐसी के संगम पर, मैं तुझे ढूंढने आया
देदो दर्शन विश्वेश्वर मेरे सारे पाप भुला कर
मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर

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