कर गई महगाई कंगाल गजनन्द

  • kar gai mehngaai kangaal gajanan

कर गई महगाई कंगाल गजनन्द लियो ताना खबरियां,

रखो सुखो खाये गरीबा मिले न सभजी भाजी,
महंगाई छूए आसमान को खेल रही बाज,
के भूखे सो रहे बाल गोपाल गजनन्द लियो ताना खबरियां,

तेल नमक और आता चावल सब कुछ लागा महंगा,
बचे मांगे तन को कपड़े फट गए धोती लेहंगा,
हो रहे हम तो खूब हलाल गजनन्द लियो ताना खबरियां,

है कितना कानून ये अँधा लगे न अंकुश भाई,
भरने वाले भरे तिजोरी कर देखु कमाई,
हो रहे लोग यहाँ बेहाल गजनन्द लियो ताना खबरियां,

मिले न ढूंढो काम धाम और ताम जाम है भारी,
बिजली बिल भी खूब आते है खाये जात अधिकारी,
जीना हो गया हर्ष बेहाल गजनन्द लियो ताना खबरियां,

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