कैसा बैठा सजा बाला जी मेरा लाल सिंदूर में

  • Kaisa Baitha Saja Bala Ji Mera Lal Sindhoor Me

कैसा बैठा सजा बाला जी मेरा लाल सिंदूर में,
लाल सिंदूर में रे भगतो मेहंदीपुर में,
कैसा बैठा सजा बाला जी मेरा लाल सिंदूर में,

माथे पे मुकट विराजे हाथ में गधा निराला,
हारा का सहारा से मेरा माँ अंजनी का लाला,
सच्चे मन से तू इक वार बुलाले चाहे इतनी दूर है,
कैसा बैठा सजा बाला जी मेरा लाल सिंदूर में,

बाबा की निराली मूरत मन में वस् गई,
ऊपर मेरे बाबा की मेहर मेहरबानी बार्स गई,
मेरे बिगड़े बना दे काम भंडारे भर भर पुर रे,
कैसा बैठा सजा बाला जी मेरा लाल सिंदूर में,

उत्तम छोंकर बालक से गलती ने छमा कीजिये,
मारे सिर पे बाबा के हाथ धरिये,
माहरी नैया पार लगा दो बाबा मन मजबूर से,
कैसा बैठा सजा बाला जी मेरा लाल सिंदूर में,

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