कभी फुर्सत हो तो बजरंगी निर्धन के घर भी आ जाना
कभी फुर्सत हो तो बजरंगी,निर्धन के घर भी आ जाना
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना
ना चोला चढ़ा सका चाँदी का, ना चादर घर मेरे राम लिखी
ना पेडे बर्फी मेवा बाबा, बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े
इस श्रद्धा की रख लो लाज प्रभु, इस विनती को ना ठुकरा जाना
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना
जिस घर के दिए मे तेल नहीं, वहां जोत जगाओं कैसे
मेरा खुद ही बिशोना डरती प्रभु, तेरी चोंकी लगाऊं मै कैसे
जहाँ मै बैठा वही बैठ प्रभु, बच्चों का दिल बहला जाना
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना
तू भाग्य बनाने वाला है, और मै तकदीर का मारा हूँ
हे दाता संभाल भिकारी को, आखिर तेरी आँख का तारा हूँ
मै दोषी तू निर्दोष प्रभु, मेरे दोषों को तूं भुला जाना
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना