कब से मेरे नैना तरस रहे मुलाक़ात के लिए

  • kab se mere naina tars rahe mulaakat ke liye

कब से मेरे नैना तरस रहे मुलाक़ात के लिए
आ जाओ गणपति मोरेया इक रात के लिए,
कब से मेरे नैना तरस रहे मुलाक़ात के लिए

हे विघन हरन लम्बोदर रिधि सीधी के सोहर,
चूहे पे आओ चढ़ कर सिर ऊपर मुकट पेहन कर
लड्डूवन का भोग बनाया है परशाद के लिए
आ जाओ गणपति मोरेया इक रात के लिए,
कब से मेरे नैना तरस रहे मुलाक़ात के लिए

है दर्शन की शुभ वेला मोसम भी है अलबेला,
भगतो का लगा है मेला आये है गुरु और चेला
बस इक झलक दिखला दो न मुराद के लिए
आ जाओ गणपति मोरेया इक रात के लिए,
कब से मेरे नैना तरस रहे मुलाक़ात के लिए

मिरदंग और ढोल भजा है फूलो से भवन सजा है
तू आजा कहा छिपा है दर्शन को अनाड़ी खड़ा है,
कुछ पल को दूर हटा दे अपनी याद के लिए
आ जाओ गणपति मोरेया इक रात के लिए,
कब से मेरे नैना तरस रहे मुलाक़ात के लिए

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