काहे गरजे गरज डरावे

  • kaahe Garje Garaj Darave

रे काहे गरजे गरज डरावे !

हनुमान जी ने श्री राम का नाम लेकर छलांग लगायी और समुद्र देव प्रकट हो गए,
बोले ओये, कौन है मेरी आज्ञा के बिना मेरे ऊपर से छलांग लगाने वाले
हनुमान जी ने विनती की
हे विद्यमान ब्राह्मण, ऐ सगरदेव, मेरी विनती सुनिए:

ओ काहे गरजे गरज डरावे,
बिन बात के आंख दिखावे,
रे काहे गरजे गरज डरावे,
बिन बात के आंख दिखावे,
जाने भी दे, जाने दे,
उस पार, वै सागर,
जाने भी दे, जाने दे,
उस पार, वै सागर,
मैं रामदूत हनूमाना,
मैं राम दूत हनुमाना,
मुझको गढ़ लंका है जाना,
माता सिया की पाने खबर सार,
वै सागर,
जाने भी दे, जाने दे,
उस पार, वै सागर,
काहे गरजे गरज डरावे।

हनुमान जी ने कहा ऐ सागर देव, रावण माँ सिया का का हरण करके ले गया है,
मैं रामदूत हनुमान हूँ, मुझको जाने दीजिये

रावण दुराचारी मात का,
ले गया करके हरण,
हो दंड देना चाहिए,
ऐसा करें जो आचरण,
वो भी अपराधी है,
ऐसे आदमी को जो दे शरण,
वो भी अपराधी है,
ऐसे आदमी को जो दे शरण,
चिंता में है राम रघुनंदन,
चिंता में है नाम रघुनंदन,
दुखों से घिरे दुख भंजन,
ऐसे में मुझसे,
ना कर तकरार ऐ सागर,
जाने भी दे जाने दे,
उस पार वै सागर,
ओ काहे गरजे गरज डरावे।

हनुमान जी ने कहा ऐ ब्राह्मण देव आप पुज्य ब्राह्मण, हो विद्यमान हो,
मुझे रास्ता दीजिये, जिद मत कीजिये

हे पूज्य आप विद्वान,
ब्राह्मण को बड़प्पन चाहिए,
श्री राम की सेवा में,
थोड़ा हाथ आप बटाइए,
दीजिए मुझे रास्ता,
कुछ रास्ता बतलाइए,
दीजिए मुझे रास्ता,
कुछ रास्ता बतलाइए,
अगर तू जिद पे अपनी अड़ेगा,
अगर तू जिद पे अपनी अड़ेगा,
फिर कुछ मुझको करना पड़ेगा,
जैसे चाहोगे वैसे ही मैं तैयार, वै सागर,
जाने भी दे जाने दे,
उस पार ओ सागर,
ओ काहे गरजे गरज डरावे।

हनुमान जी ने कहा ऐ सागर श्री राम के काज के लिए,
मैं कुछ भी कर जाऊंगा, मेरा रास्ता ना रोक

राम जी के काज हित,
मैं तो कुछ भी कर जाऊंगा,
हे अंजुली में भर तुझे,
एक घूंट में पी जाऊंगा,
अंजनी का लाल हूं,
नहीं दूध को लज्जाऊँगा,
अंजनी का लाल हूं,
नहीं दूध को लज्जाऊँगा,
ओ ‘लक्खा’ मान ले विनती मेरी,
औ लख्या मान ले विनती मेरी,
मुझको बहुत हो रही देरी,
करदे सरल पे इतना सा उपकार ऐ सागर,
जाने भी दे जाने दे,
उस पार वै सागर,
ओ काहे गरजे गरज डरावे।

और यहाँ पर इस भजन को भी देखें : मेरे रोम रोम में बसा हुआ हनुमान जी नाम तुम्हारा

ओ काहे गरजे गरज डरावे,
बिन बात के आंख दिखावे,
रे काहे गरजे गरज डरावे,
बिन बात के आंख दिखावे,
जाने भी दे, जाने दे,
उस पार, वै सागर,
जाने भी दे, जाने दे,
उस पार, वै सागर,
मैं रामदूत हनूमाना,
मैं राम दूत हनुमाना,
मुझको गढ़ लंका है जाना,
माता सिया की पाने खबर सार वै सागर,
जाने भी दे, जाने दे,
उस पार, वै सागर,
काहे गरजे गरज डरावे।



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