जिसके हृदय में हरी सुमिरण होगा
जिसके हृदय में हरी सुमिरण होगा,
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।
भक्त को भगवान का चिंतन होगा,
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।।
जिसके हृदय में हरी सुमिरण होगा ।
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।।
सच्ची धारणा से प्रह्लाद ने जो ध्याया था,
खम्बे से हरी जी का दर्शन पाया था ।
कहते है जिसको दर्शन होगा,
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।।
जिसके हृदय में हरी सुमिरण होगा ।
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।।
भक्तो को तारने तारणहार आए थे,
जंगल में झूठे बेर शबरी के खाए थे ।
जिसका सहारा रघु नन्दन होगा,
जिसके ह्रदय में हरी सुमिरण होगा ।।
जिसके हृदय में हरी सुमिरण होगा ।
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।।
द्रोपदी ने बांधा केवल चार कच्चे धागो से,
चिरहरण के दिन चिर पाई माधव से ।
जिसका सहारा मनमोहन होगा,
जिसके ह्रदय में हरी सुमिरण होगा ।।
जिसके हृदय में हरी सुमिरण होगा ।
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा ।।
