- Jau Kaha Taji Charan Tumhare
जाउँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे ।
काको नाम पतित-पावन जग,
केहि अति दीन पियारे ।।1।।
कौने देव बराइ बिरद-हित,
हठि हठि अधम उधारे ।
खग,मृग,ब्याध,पषान,बिटप जड़,
जवन कवन सुर तारे ।।2।।
देव,दनुज,मुनि,नाग,मनुज सब,
माया-बिबस बिचारे ।
तिनके हाथ दासतुलसी प्रभु,
कहा अपनपौ हारे ।।3।।