जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा
जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा,
जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा।
जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा-०२
भोग लगाएं लड्डुअन का, और करूँ तेरी सेवा,
जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा-०२
तुमसे ना कोई दानी देवा,
तेरा ना कोई शानी-०२
तेरे आगे सब हैं झुकते,
राजा रंक अभिमानी-०२
जो भी तेरे शरण में आये, हो ओ
जो भी तेरे शरण में आये, पाता सबकुछ देवा,
जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा-०२
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दुनिया तेरे इशारे चलते,
चलता हर एक जर्रा-०२
तुमसे हीं दिन रात हैं होते,
होता तुमसे सवेरा-०२
दशो दिशाएं घूमें तुमसे, हो ओ
दशो दिशाएं घूमें तुमसे, और चले हैं ये हवा,
जय हो गणपति देवा मंगल मूर्ति देवा-०४