जगत के रंग क्या देखूं

  • Jagat Ke Rang Kya Dekhun

जगत के रंग क्या देखूं-०२
तेरा दीदार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है,
तेरा दीदार काफी है, तेरा दीदार काफी है-०२
तेरा दीदार काफी है,
क्यूं भटकूं ग़ैरों के दर पे-०२
तेरा दरबार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है।

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नहीं चाहत है दुनिया के, निराले रंगों की मुझको-०४
निराले रंगों की मुझको,
चला आऊं मैं दर तेरे-०२
तेरा दरबार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है।

जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का-०४
बिछाया जाल माया का,
तेरे भगतों से हो प्रीति-०२
ये शिव परिवार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है,
तेरा दीदार काफी है, तेरा दीदार काफी है।


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