जब सुबह की आरती खत्म हुई
शिर्डी में जो महसूस हुआ, मैं आज उसे दोहराता हूं,
शायद तुम समझो आखिर क्यों, मैं साईं के गुण गाता हूं।
जब सुबह की आरती खत्म हुई,और बाबा ने स्नान किया। 02
इसलिए की मेरे पाप धुले, उसे देख के मेरे पाप धुले,
मैं पापी से इंसान बना। 02
ओम साईं ओम ,ओम साईं ओम। 02
जब सुबह को साईं चरणों में, जल दूध की धारा बहने लगी। 02
बह गई भावना बदले की-02
मैंने दुश्मन को भी माफ किया। 03
ओम साईं ओम ,ओम साईं ओम। 02
जब सुबह सवेरे साईं को,उढ़ाई गई नहीं चादर।02
मैंने सारे चोले फेंक दिए-02
मैंने साईं चोला पहन लिया-03
ओम साईं ओम ,ओम साईं ओम।। 02
और इस भजन को भी पढ़े: मेरा आपकी कृपा से, सब काम हो रहा है
जब सुबह सवेरे पहनाया, साईं को मुकुट पुजारी ने। 02
मैंने खुद की शान मिटा डाली-02
मैं अंदर अंदर मुक्त हुआ।03
ओम साईं ओम ,ओम साईं ओम।02
जब चारों ओर से बाबा पर,
बाबा पर ,बाबा पर।02
जब चारों ओर से बाबा पर, फूलों की वर्षा होने लगी ,
जाने क्यों मेरी आंखों से,अश्रुवण की बरखा होने लगी।
हैरान था मैं-02
साईं ने मुझे क्या सोचकर मालामाल किया-02
मैं क्या-क्या मांगने आया था,
बिन मांगे क्या-क्या पा बैठा।02
ओम साईं ओम ,ओम साईं ओम …….