जायो जशुदा लाल अनोखो

  • jaayo jasuud laal anokho

जायो जशुदा लाल, अनोखो।

मोर मुकुट की लटक अनोखी,
तैसेहिं लट घुँघराल।

भृकुटि बंक की मटक अनोखी, तैसेहिं तिलक सुभाल ।

चितवनि जादूभरी अनोखी,
तैसेहिं नैन विशाल।

मधुर मधुर मुसकानि अनोखी ,
तैसेहिं गल वनमाल।

पीतांबर फहरानि अनोखी,
तैसेहिं काछनि लाल।

नूपुर की झनकार अनोखी,
तैसेहिं चाल मराल।

ग्रीवा-कटि-पद-मुरनि अनोखी ,
तैसेहिं मुरलि रसाल।

है ‘कृपालु’ सब बात अनोखी,
फँसे शंभु शुक जाल ।।

मिलते-जुलते भजन...