ईश्वर की अदालत में चलेगी ना तेरी मर्ज़ी
मंज़िल का पता पाया नही
तू सुनले ओ प्राणी
जाएगा तू किस और
ईश्वर की अदालत में
चलेगी ना तेरी मर्ज़ी
कोई चलेगा ना ज़ोर
मंज़िल का पता पाया नही
तू सुनले ओ प्राणी
जाएगा तू किस और
अच्छे करम करले ये संत कहते है
हाए रे किश्मत की हम सुनते रहते है
जीवन का सभी तो एक दिन अंत आना है
साधु हो या कोई चोर
ईश्वर की अदालत में
चलेगी ना तेरी मर्ज़ी
कोई चलेगा ना ज़ोर
दुनिया के मेले में गफील ना हो जाना
सांसो पूंजी को यूही ही ना खो जाना
आदेश है जो जो हमे
ध्यान करो उस और
ईश्वर की अदालत में
चलेगी ना तेरी मर्ज़ी
कोई चलेगा ना ज़ोर
इस आत्मा का ये परमात्मा घर है
घर है मगर है फिर भी
इंसान बेघर है
बिन गुरु के कृपा
मिलती नही नूरानी सोच
ईश्वर की अदालत में
चलेगी ना तेरी मर्ज़ी
कोई चलेगा ना ज़ोर
मंज़िल का पता पाया नही
तू सुंले ओ प्राणी
जाएगा तू किस और


