इंद्रगढ़ की रानी ऊंचा महला की पटरानी

  • indergarh ki rani uncha mahala ki patrani

इंद्रगढ़ की रानी, ऊंचा महला की पटरानी।
दोहा – इंद्रगढ़ बिजासना, मां बरवाड़ा में चौथ, ऊपर माल में जोगणिया, ओ मैया थारे जले अखड़ी जोत ।
इंद्रगढ़ की रानी, ऊंचा महला की पटरानी, थारो मंदिर प्यारो लागे मारी माई, थारो मंदिर प्यारो लागे जी।।
सातवीं सदी में देबा चारण के जन्मयाई, कलयुग में पर्चा देवे मारी माई, कलयुग में पर्चा देवे जी।।

गुरु कृपानाथ जी थाने मनावे, थे तो इंद्रगढ़ की डुंगरिया में, बसगई मारी माई जी, प्यारो प्यारो मंदिरयो।।
बिजासन मैया थारी ऊंची नीची पैडया, मैया चडयो न उत्तरयो जावे री, मासे चडयो न उत्तरयो जावे री।।
सातों बहना साथ मैया लारा लारा रेवे, भगता का दुखडा हर दिज्यो जे रे, भगता का दुखड़ा हर दिज्यो।।

ओ थाकी पेड़या पे मैया थाकी तो सवारी घूमे,
डर घणों लागे प्यारी मारी माई जी,
डर माने लागे जी।।

थाकी तो पेड़या पे मैया थाकों शेरू घूमे, भगता की रक्षा करज्यो मारी माई जी, मंदिरया में आया रे।।
राजस्थान में जन्मयाई, जिला बूंदी में रेहबाली, मैया इंद्रगढ़ की डुंगरिया में रमगी रे, मैया इंद्रगढ़ की डुंगरिया में रमगी रे।।
हेमन्त सैनी तो मैया भजन बनावे मैया, थारे चरणा को चाकर राखो मारी माई जी, चरणा को सेवक राखो जी।।

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