हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे

  • Humko bhi de sahara o haare ke sahare

ओ श्याम खाटू वाले,
कबसे तुम्हे पुकारे,
हमको भी दे सहारा,
ओ हारे के सहारे।।

गम की इन आँधियों में,
तिनका भी ना बचा है,
जो कुछ था पास मेरे,
सबकुछ ही लूट चूका है,
सबकुछ ही लूट चूका है,
बाकी है लाज इसको,
गर हो सके बचा ले,
हमको भी दें सहारा,
ओ हारे के सहारे।।

पतवार थामने का,
हाथों में दम नहीं है,
आजा कन्हैया नौका,
मजधार में फसी है,
मजधार में फसी है,
बनकर के माझी इसका,
ले चल इसे किनारे,
हमको भी दें सहारा,
ओ हारे के सहारे।।

आँखों से नीर की अब,
बरसात हो रही है,
क्यों देर कर रहे हो,
सांसे भी खो रही है,
सांसे भी खो रही है,
आकर ‘कमल’ को अपने,
सीने से तू लगा ले,
हमको भी दें सहारा,
ओ हारे के सहारे।।

ओ श्याम खाटू वाले,
कबसे तुम्हे पुकारे,
हमको भी दे सहारा,
ओ हारे के सहारे।।

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