हे गोपाल गिरधर कान्हा
छोड़ के मैं जहां को आया तेरे द्वारे,
चाहता हूँ तू मुझपे एक नजर तो डारे,
मुझको सीने से लगा ले, हाँथ मेरा थाम ले,
आते जाते सांस मेरी, बस तेरा हीं नाम ले,
मैं रहूँगा सदा तेरा कांधा, चाहे जितना सत्ता ले,
हे गोपाल गिरधर कान्हा, मुझे अपना बना ले-०२
या तो मुझमे तू समा जा, या मुझे खुद में समा ले,
हे गोपाल गिरधर कान्हा, मुझे अपना बना ले-०२
और इस भजन को भी देखें: श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
मीरा के जैसे पावन पुनीतं, अपने ह्रदय में लिए चल रहा हूँ,
मैं तो सुदामा जैसा फकीरा, तेरे दिए टुकड़ो पे पल रहा हूँ,
एक तेरे दीद पे मैं, अपना जीवन वार दूँ,
तू जो ना भी चाहे मुझको, फिर भी तुझको प्यार दूँ,
जीत होगी प्रेम की हरदम हीं, कितने तू इम्तहां ले,
हे गोपाल गिरधर कान्हा, मुझे अपना बना ले-०२
या तो मुझमे तू समा जा, या मुझे खुद में समा ले,
हे गोपाल गिरधर कान्हा, मुझे अपना बना ले-०२
