हर हर महादेव बोले काशी

  • Har Har Mahadev Bole Kashi

जिनके चरण पखारे गंगा, सेवक जिनके मस्त मलंगा-०२
तैंतीस कोटि देव जहां बसते,
तैंतीस कोटि देव जहां बसते, विश्वनाथ अविनाशी,
हर हर महादेव बोले काशी-०४

भैरो जी हैं कोतवाल जहां के, रक्षक हैं बजरंगवली,
दुर्गा जी दुर्गा कुंड की कृपा, काशी के हर गली गली,

भैरो जी हैं कोतवाल जहां के, रक्षक हैं बजरंगवली,
दुर्गा जी दुर्गा कुंड की कृपा, काशी के हर गली गली,
मंगल करती गौरी मंगला,
मंगल करती गौरी मंगला, बन कर के शुभ राशि,
हर हर महादेव बोले काशी-०४

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मस्त मड़ैया कीनाराम की पासे अघोर की टोली हो,
शिव जी बना के रूप दिगंबर, खेले मशाने में होली हो,

मस्त मड़ैया कीनाराम की पासे अघोर की टोली हो,
शिव जी बना के रूप दिगंबर, खेले मशाने में होली हो,
धुनि रमावे जहां पे आके,
धुनि रमावे जहां पे आके, साधु संत सन्यासी,
हर हर महादेव बोले काशी-०४

काशी बसी त्रिशूल पे शिव के, हो वेदों का पाठ जहां,
बड़ी शीतला अनपूर्णा जी रहती शिव के साथ यहाँ,

काशी बसी त्रिशूल पे शिव के, हो वेदों का पाठ जहां,
बड़ी शीतला अनपूर्णा जी, रहती शिव के साथ यहाँ,
यहां की अद्भुत गंगा आरती,
यहां की अद्भुत गंगा आरती, दिख के मिटे उदासी,
हर हर महादेव बोले काशी-०४


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