गंगा नदि के निर्मल पनियां
गंगा नदि के निर्मल पनियां बहे शीतला बयार।
ताही पर मालिन बाग लगावले लगी गेलय घने फूलवार ।
सेही फूल के तोड़ी के मंगावली गुथली फूलवा के हार।
सेहो हरवा पेहन्थीन सुरुज देवा। मने मने मुसुकाय ।
भले मालिन बगीया लगावले रोपलन फूलवा के गाछ ।
गंगा नदि के निर्मल पनियां बहे शीतला बयार,
ताही पर बसवा लगावली बसवा भइले कंचनार।
सेही बांस के काट के मंगावली ओकर बहंगी बनाइव,
ओकर दउरवा बनाइए दउरा में सूपवा सजाइव जाइव गंगा के घाट।
गंगा घाट पर अरग हम दिहव मांगव दुई वरदान।
युग युग जिये मोर बलकवा अमर रहे मोर सुहाग।


