दुनिया के जमले में फस कर हम

  • duniya ke jhame me fas kar hum

दुनिया के जमले में फस कर हम असल ठिकाना भूल गये,
जो वादा करके आये थे सब कॉल निभाना भूल गये,
दुनिया के जमले में फस कर हम असल ठिकाना भूल गये

दुनिया में हम ने जन्म लिया भगवान् के दर्शन पाने को,
दुनिया का तमाशा क्या देखा घर लौट के आना भूल गये,
दुनिया के जमले में फस कर हम असल ठिकाना भूल गये

वीरान पड़े खंडरो की जगह थे महल कभी महाराजाओ के,
खुदवाई थे नाम जो पथरो पर सब बन पाँव की धूल गये,
दुनिया के जमले में फस कर हम असल ठिकाना भूल गये

हम देख रहे थे रोज रोज मरघट में लासे जलते हुये,
कितने आये और चले गये हम अपना दिल न भूल गये,
दुनिया के जमले में फस कर हम असल ठिकाना भूल गये

मिलते-जुलते भजन...