दोनों कुल की लाज लाड़ली

  • dono kul ki laaj ladaali rakhna aaj sambaal

दोनों कुल की लाज लाड़ली रखना आज संभाल
बाबुल का घर जन्म भूमि है कर्म भूमि ससुराल

भाई की लाडो माँ की दुलारी बाबुल का अभिमान
कैसे भुला पाएंगे बिट्टो बचपन का वो प्यार
तेरे बिना सब सूना होगा घर आँगन और द्वार
इस चौखट से उस चौखट तक रखना जी को संभाल
बाबुल का घर जन्म भूमि है कर्म भूमि ससुराल

सास ससुर माँ बात हैं तेरे नंदी बहन समान
भाई के जैसे देवर जेठ है देना उनको मान
सबकी दुलारी बनकर रहना इसमें है सम्मान
तुझसे ही बाबुल की इज़्ज़त रखना इसका ख़याल
बाबुल का घर जन्म भूमि है कर्म भूमि ससुराल

ध्यान रहे कोई बात वहां की यहाँ ना आने पाए
जीत ले सबके मन को ऐसे सब तेरे बन जाए
निर्मल जल के जैसे सबके मन में तू रम जाए
आशीर्वाद यही मेरा तू रहे सदा खुशहाल
बाबुल का घर जन्म भूमि है कर्म भूमि ससुराल

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