धन्वंतरि जी की आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा…
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
॥जय धन्वंतरि देवा – जय धन्वंतरि जी देवा॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए…
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
॥ जय धन्वंतरि देवा – जय जय धन्वंतरि देवा॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया…
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
॥ जय धन्वंतरि देवा – जय जय धन्वंतरि देवा॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी…
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
॥ जय धन्वंतरि देवा – जय जय धन्वंतरि देवा॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे…
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
॥ जय धन्वंतरि देवा – जय जय धन्वंतरि देवा॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा…
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
॥ जय धन्वंतरि देवा – जय जय धन्वंतरि देवा॥
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे…
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
॥ जय धन्वंतरि देवा – जय जय धन्वंतरि देवा॥