धन धन सिंगाजी सुरमा

  • dhan dhan singaji surma

धन धन सिंगाजी सुरमा
जिन्न चवर बुहारया गुरू खेत हो
कलांका सी बाँध्या झूलना
अपना साहेब जी से हेत हो

सत सुकरत दया धर्म का
जिन्न रोपया खंब हो
भजन सुमरन मे हठ जो करे
हो भाई दाणा मोटा ठग हो

भार पड़े धरणी थर हरे
हो रामा प्रायश्चित बढ़ियो अपार हो
सकल ही देव बुलाय के
म्हारो साहेब करतो विचार हो

बैकुंठ बिढिलो रोपिया
आसा आप ही श्री महाराज हो
जाओ रे संत म्रत्यु लोक म
आसा भक्ति करना का काज हो

झट बिड़ीलों कोई लइ नी सक्या
आसा सकल उभा कर जोड़ हो
हम कसा जावा म्हारा साहेबा
यहाँ दुनिया छे कर्म अघोर हो

https://youtu.be/8itSabjrbQo

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