धन धन गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज

  • dhan dhan guru govind singh ji maharaj

धन धन गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज

वाह वाह वाह दशमेश पिता, तेरा न जग ते सानी।
धन धन धन गुरू गोबिन्द सिंह जी, तेरी अमर कहानी।।

दीन दुःखी ते धर्म-कर्म सन, हो गए जदों लाचार।
दशमगुरू दशमेश पिता ने, लिआ पटना अवतार ।।
मात पिता कीता शुकराना, रब्ब दी रमज़ पछानी-धन धन,

कशमीरी पंडिता लई दित्ता, पिता दा बलिदान ।
मात पिता पुत वार धर्म तों, होए आप कुर्बान ।।
नहीं भुलनीं सरबंस दानीयां, तेरी इह कुरबानी धन धन.

नीला घोड़ा, नीला बाणां, कलगी दा सिर ताज।
तीर धनुष ते अस्त्र-शस्त्र, फड़या हथ विच बाज ।।
चेहरे उत्ते नूर एलाही, लहि लहि करे जवानी धन धन,

जात-पात ते ऊंच-नीच दा, नामों-निशान मिटाया।
पाऊंटा साहिबच दशमगुरू, सुंदर दरबार सजाया ।।
महायोद्धा, विद्वान, महाकवि, साहितकार लासानी धन धन.

पंज प्यारे थाप गुरू जी, खालसा पंथ सजाया।
वज उठया रणजीत नगाड़ा, मुगल राज घबराया ।।
गोबिन्द राय तों गोबिन्द सिंह बन, छेड़ी जंग तूफानी-धन धन,

भंगानी आनंदपुर, मुक्तसर, चमकौर साहिब दा जंग।
मधुप नहीं भुलनें तलवंडी, माछीवाड़ा सरहंद ।।
पटना साहिब, नांदेड़ साहिब ने, तेरी खास निशानी-धन धन.

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