देवों के गुरु बृहस्पति जी तुम महाज्ञान गुण सागर

  • Devon Ke Guru Brihaspati Ji Tum Mahagyan Gun Sagar

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

देवों के गुरु बृहस्पति तुम, महाज्ञान गुण सागर-०२
उस सागर से भरने आये, भक्ति भाव के गागर,
देवों के गुरु बृहस्पति जी तुम, महाज्ञान गुण सागर,
उस सागर से भरने आये, भक्ति भाव के गागर,
देवों के गुरु बृहस्पति जी तुम।

भूल चूक पर ध्यान ना देना, अबला जान निरक्षर-०२
तेरे द्वार से जाते देखे, भक्त झोलियाँ भर भर-०२
भक्त झोलियाँ भर भर,
अपनी प्रभुता का प्रमाण दो, मुझको भी अपनाकर-०२
उस सागर से भरने आये, भक्ति भाव के गागर,
देवों के गुरु बृहस्पति जी तुम।

जिसने ध्याया मन से तुझको, मुक्ति मिली चक्कर से-०२
मेरा भी उद्धार करो प्रभु, खड़े हुये दिल तरसे-०२
खड़े हुये दिल तरसे,
मेरी श्रद्धा को अपना लो, आयी दूर से चलकर-०२
उस सागर से भरने आये, भक्ति भाव के गागर,
देवों के गुरु बृहस्पति जी तुम।

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तुम शाहों के शाह बृहस्पति, सब पूजा करते हैं-०२
गुरुओं के गुरुदेवों के गुरु नाम जपा करते हैं-०२
नाम जपा करते हैं,
अब अपना लो बृहस्पति जी, क्या मिलेगा मुझको भुलाकर-०२
उस सागर से भरनेआये, भक्ति भाव के गागर,
देवों के गुरु बृहस्पति तुम, महाज्ञान गुण सागर-०२
उस सागर से भरने आये, भक्ति भाव के गागर,
देवों के गुरु बृहस्पति जी तुम, महाज्ञान गुण सागर,
महाज्ञान गुण सागर, महाज्ञान गुण सागर, महाज्ञान गुण सागर।


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