देकर शरण अपनी अपने में समा लेना
बरपा है कहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर के शरण अपनी अपने में समा लेना,
बरपा है कहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर के शरण अपनी अपने में समा लेना,
कहीं धरती डोले है कहीं अंबर है बरसे,
तुमसे मिलने को भोले मिलने ना दे करते,
मुश्किल बड़ी राहें है रस्ता भी दिखा देना,
बरपा है कहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर के शरण अपनी अपने में समा लेना।
और इसे भी अवलोकित करें: तेरे हवाले मेरी गाड़ी तूँ जाने तेरा काम जाने
दर दर क्यों भटकूं मैं कुछ मुझमे कमी होगी,
अपनी सेवक रखलो कदमो में जमीन होगी,
हलातों से लड़ लड़कर जीना भी सीखा देना,
बरपा है कहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर के शरण अपनी अपने में समा लेना।
जब भी पुकारूँ मैं तुमको तुम्हे आना ही होगा,
इतनी विनती है सज्जन की तुम्हे पार लगाना होगा,
जैसी भी हूँ तेरी हूँ चरणों में जगह देना,
बरपा है कहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर के शरण अपनी अपने में समा लेना,
देकर के शरण अपनी अपने में समा लेना।