दादी का साचा दरबार महिमा मां की अपरंपार
दादी का सांचा दरबार
महिमा मां की अपरंपार
मां की शरण जो आन परा
दादी जी ने किया उपकार
उसके खुले करम ओह (×2)
ये मेरी दादी की दया
संकट हुऐ की खत्म
ये मेरी दादी की दया
दादी ने जद थाम लिया,
उसका हर एक काम किया (×2)
दुनिया से उम्मीद नहीं
खाता है दादी का दिया
मिट गए सभी भरम
ये मेरी दादी की दया
नींदों में मां आती है
सिर पे हाथ फिराती है(×2)
कहने की दरकार नहीं,
बिन मांगे दे जाती है(×2)
भर गये सभी ज़ख्म
ये मेरी दादी की दया
किरपा मां की सदा रहे
आना जाना लगा रहे
स्वाति का अरमान यही
मैं उनकी वह मेरी रहे
हर्ष रुके ना कदम
यह मेरी दादी की कृपा
