चरणों में शरण देके इस जग से अभय करदो
दोहा : सुनते हो सबकी व्यथा, प्रभु देकर के ध्यान,
मैं भी तो तेरा दास हूँ, पीड़ा मेरी पिछाण ।।
चरणों में शरण देके, इस जग से अभय करदो,
हरो क्लेष सभी संकट, खुशियों से मुझे भरदो ।। टेर ।।
तर्ज – होठों से छू लो तुम ।
दुखों से घिरा स्वामी, तेरे द्वारे आया हूँ,
मिल जाये त्राण मुझे, गम से घबराया हूँ,
सुन करुण पुकार मेरी, जीवन सुखमय करदो ।। चरणों…१ ।।
हारे के सहारे तुम, दीनों के दाता हो,
करुणा वरुणालय तुम, प्रभु भाग्य विधाता हो,
कर दया दृष्टि स्वामी, चरणों में जगह देदो ।। चरणों…२ ।।
चरणों की छाया में, मस्ती से जी लूँगा,
दर्शन तेरे पाकर, भवसागर तर लूँगा,
‘साँवर’ है दास तेरा, उपकार प्रभु करदो ।। चरणों…३ ।।