चढ़ा कृष्ण का रंग
घर वार छोड़ आयी,
सारे नाते तोड़ आयी,
कान्हा बुलाये मुझको,
जग को मैं बोल आयी।
बोला ज़माने में वो,
कृष्ण है बड़ा दुःखदायी,
दुःख की तलाश में मैं,
हर सुख छोड़ आयी,
जल की धारा तू ,
मैं प्यासी बन जाऊँ,
तेरे चरण की मैं,
दासी बन जाऊँ,
कि मुझपे चढ़ा कृष्ण का रंग,
दुनिया रंग बिरंगी लागे,
मैं नाचूं भूल के सारे ढंग,
जब-जब मुरली तेरी बाजे,
मुझपे चढ़ा कृष्ण का रंग,
दुनिया रंग बिरंगी लागे,
मैं नाचूं भूल के सारे ढंग,
जब-जब मुरली तेरी बाजे।
और इस भजन का भी अवलोकन करें: लड़ गई अखियां हमारी कृष्ण मुरारी से
मैं भटक रही हूँ नदियों सी,
मुझे आकर तुझमे मिलना है,
दौड़ी आयी मैं बृन्दावन,
मुझे कान्हा के संग रहना है,
मेरी प्रीत कोई ना जाने,
कोई तुझको ना पहचाने,
मैं एक अकेली दुनिया में,
मेरा इतना ही कहना है,
जल की धारा तू ,
मैं प्यासी बन जाऊँ,
तेरे पास जियूँ,
तेरे पास हीं मर जाऊँ,
कि मुझपे चढ़ा कृष्ण का रंग,
दुनिया रंग बिरंगी लागे,
मैं नाचूं भूल के सारे ढंग,
जब-जब मुरली तेरी बाजे,
मुझपे चढ़ा कृष्ण का रंग,
दुनिया रंग बिरंगी लागे,
मैं नाचूं भूल के सारे ढंग,
जब-जब मुरली तेरी बाजे।