बुद्धं शरणं गच्छामि
बुद्धं शरणं गच्छामि |
धम्मं शरणं गच्छामि |
संघं शरणं गच्छामि |
बुद्धं शरणं गच्छामि मंत्र का हिंदी में अर्थ सहित व्याख्या
बुद्धं शरणं गच्छामि– बुद्धम शरणम् गच्छामि का अर्थ है की मैं अपनी बुद्धि की शरण में जाता हूँ, मैं खुद ही मालिक हूँ, अपना बुरा और भला करने वाले हम स्वयं खुद हैं, अपने अच्छे कर्मो के द्वारा या बुरे कर्मों द्वारा. यदि कोई व्यक्ति अपनी जिम्मेवारी स्वयं उठा लेता है वो जीवन में हर मार्ग पर आगे बढने की कोशिश करता रहता है। बुद्धं शरणं गच्छामि का मतलब सही दिशा की और आगे बढना और गलत दिशा से अपने आप को पीछे हटाना यही हमें सिखाता है।
धम्मं शरणम् गच्छामि – मैं अपनी धमे की शरण में जाता हूँ, धम्म अपने आप में एक नियम है जो प्रकृति के अनुसारी चलती है तो जब भी हम इस धम्म के नियम के अनुसार अपना जीवन बिताते हैं तब-तब हमें सुख और शांति मिलती है और जब भी हम इस धम्म के नियम को तोड़ते हैं चाहे किसी भी प्रकार से तोडें तो हमें दुःख मिलता है अशांति मिलती है। ये बातें हम जीवन में धीरे-धीरे समझ आती रहेंगी जब हम अपने प्रति जागरूक होंगे धम्म के प्रति जागरूक होंगे।
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संघम शरणम् गच्छामि – मैं अच्छे लोगों की शरण में जाता हूँ हम जीवन में अच्छे लोगों की संगती करेंगे जो जैसे सही मार्ग पर चलने वाले शीलवान सदाचारी व्यक्ति हैं ऐसे लोगों की संगती करेंगे क्योंकि जब कोई व्यक्ति बुरे लोगों के संगत में चला जाता है तो वो न चाहते हुए भी बुरे काम कर जाता है क्योंकि उसको उधर झुकाव होना शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे वो उस संगत से ग्रसित हो जाता है। इसलिए हमे संघम शरणम् गच्छामि ये सिखाता है की हम अच्छे लोगों की शरण में रहना चाहिए और अपने जीवन को अच्छा संस्कारवान बनाना चाहिए।