बुद्ध ही बुद्ध है

  • Buddha Hi Buddha Hai

ये च बुद्धा अतीता च,
ये च बुद्धा अनागता
पच्चुपन्ना च ये बुद्धा,
अहं वन्दामि सब्बदा ।।

बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है,
हर जगह, हर समय वो सिद्ध है वो सिद्ध है,
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है,
हर जगह, हर समय वो सिद्ध है वो सिद्ध है।

मन मे तुम्हारे बसता वो गुणवान है-०२
सम्यक शिक्षा से करता जो शीलवान है-०२
अहिंसा की ताकत से जो बलवान है-०२
वो बुद्ध है, वो बुद्ध है, वो बुद्ध है,
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है।

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स्वयं पर तू स्वयं ध्यान कर,
हलचल ह्रदय की स्पंदनो को जान कर,
नित्य नियंत्रण से खुद की पहचान कर-०२
पायेगा जब तू विजय स्वार्थ पर,
विकृती पर तू निरंतर मात कर,
ढृढ़ निश्चय से जब चित्त तेरा शुद्ध है,
तू बुद्ध है,तू बुद्ध है,तू बुद्ध है,
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है।

परिवर्तन ही है ये जीवन का नियम,
क्यो न हो ये धर्म का भी अधिनियम,
मैत्री प्रज्ञाशील हो जिसमे,
सदैव तन मन पर संयम,
कर पूजा सद्गुणों की ए नादान,
ईश्वर क्या बने, तू पहले बन इन्सान,
कार्म्कांडो से नही मिलता भगवान,
चमत्कार नही दुनिया मे तू मान,
मानव सेवा हि तुझसे नितीबद्ध है-०२
तू बुद्ध है,तू बुद्ध है,तू बुद्ध है,
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है।

जब चले हिंसा की आंधी
निर्लज्ज उठाये पापो का तुफान,
ले चला जगत को विनाश के पथ पर,
बेधुंद अहंकारी बना इन्सान,
देखो उसे ढूंढो उसे पाओ उसे,
अंतर मन मे , जन मन तन मे,
दीपक शांती का, करूणा का वो सागर,
प्रज्ञा कि जो मूर्ती, दिव्य भव्यशील नगर,
देखो उसे ढूंढो उसे पाओ उसे ,
इस जगत का,इस धारा का वो मार्गादाता श्रेष्ठ है,
देखो उसे ढूंढो उसे पाओ उसे ,
इस जगत का,इस धारा का वो मार्गादाता श्रेष्ठ है,
वो बुद्ध है, वो बुद्ध है, वो बुद्ध है,
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है,
हर जगह, हर समय वो सिद्ध है वो सिद्ध है,
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है,
हर जगह , हर समय वो सिद्ध है वो सिद्ध है,
वो बुद्ध है, सिद्ध है वो, बुद्ध है वो,
सिद्ध है वो, बुद्ध है वो, बुद्ध है।


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