भाँग पिली गौरा ने

  • Bhang Pili Gaura Ne

क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे गौरा
चाल कसुती चालै

आज कर के चोटी ढीली भोले
भंग मन्ने भी पि ली
भंग मन्ने भी पि ली
आज भंग मन्ने भी पि ली
क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे गौरा
चाल कसुती चालै

इसा रिस्क लिया ना करते
रै गौरा भंग पिया ना करते

मन्नै ठा कुण्डी सोटा
मै पीउंगी भरकर लोटा
आज कर के चोटी ढीली भोले
भंग मन्ने भी पि ली
हे रै चाल कसुती चालै
आज तू खड़ी खड़ी क्यों हाले

मिलते-जुलते भजन...