भज मन राम चरण सुखदाई
“कलयुग केवल नाम अधारा, कलयुग केवल नाम अधारा,
सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।”
भज मन राम चरण सुखदाई, भज मन राम चरण सुखदाई-०२
राम चरण सुखदाई, भज मन राम चरण सुखदाई,
भज मन राम चरण सुखदाईं, भज मन राम चरण सुखदाईं ||
जिन चरणन से निकसी सुरसरि, शंकर जटा समाई,
जिन चरणन से निकसी सुरसरि-०२
शंकर जटा समाई,
जटाशंकरी नाम पड़यो हैं, जटाशंकरी नाम पड़यो हैं,
त्रिभुवन तारण आई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भज मन राम चरण सुखदाईं, भज मन राम चरण सुखदाईं ||
जिन चरणन की चरण पादुका, भरत रहे मन लाई,
जिन चरणन की चरण पादुका,
जिन चरणन की चरण पादुका, भरत रहे मन लाई,
सोइ चरण केवट धोइ लीन्हो, सोइ चरण केवट धोइ लीन्हो,
तब हरि नाव चढ़ाई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भज मन राम चरण सुखदाईं, भज मन राम चरण सुखदाईं ||
सोइ चरण संतन जन सेवत, सदा रहत सुखदाई,
सोइ चरण संतन जन सेवत,
सोइ चरण संतन जन सेवत, सदा रहत सुखदाई,
सोइ चरण गौतम ऋषि नारी-०२
परसि परमपद पाई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भज मन राम चरण सुखदाईं, भज मन राम चरण सुखदाईं ||
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दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो, ऋषियन त्रास मिटाई,
दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो,
दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो, ऋषियन त्रास मिटाई,
सोई प्रभु त्रिलोक के स्वामी-०२
कनक मृगा संग धाई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भज मन राम चरण सुखदाईं, भज मन राम चरण सुखदाईं ||
कपि सुग्रीव बंधु भय व्याकुल, तिन्ह जय छत्र धराई,
कपि सुग्रीव बंधु भय व्याकुल,
कपि सुग्रीव बंधु भय व्याकुल, तिन्ह जय छत्र धराई,
रिपु को अनुज बिभीषण निसिचर-०२
परसत लंका पाई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भज मन राम चरण सुखदाईं, भज मन राम चरण सुखदाईं ||
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक-०२
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक, शेष सहस मुख गाई-०२
तुलसीदास मारुत सुत की प्रभु-०२
निज मुख करत बड़ाई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भजमन राम चरण सुखदाई, भजमन राम चरण सुखदाईं,
भजमन राम चरण सुखदाई, भजमन राम चरण सुखदाईं ||