बलिहारी ऐसे सतगुरु की

  • Balihaari Aise Satguru Ki

के आपसे है दुनिया मेरी-०२
मेरी तो दुनिया आप हो-०२
के इस भरी दुनिया में, मिला तुझसा कोई नहीं,
मैं जिसको अपना कह सकूं, वो बंदा परवर आप हो-०२

आनंद ही आनंद बरस रहा, बलिहारी ऐसे सतगुरु की-०२
धन्य भाग्य हमारे आज हुए, शुभ दर्शन ऐसे सतगुरु की,
पावन कीनी धरती भूमि, बलिहारी ऐसे सतगुरु की-०२
आनंद ही आनंद बरस रहा।

क्या रूप अनुपम पाया है-०२
सोहे जैसे तारों में चंदा-०२
सूरत मूरत मोहक तारे, बलिहारी ऐसे सतगुरु की,
आनंद ही आनंद बरस रहा।

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गुरु ज्ञान रूपी रंग बरसा कर-०२
सत्संग का बगीचा लगा दिया-०२
खिल रही है ऐसी फुलवारी, बलिहारी ऐसे सतगुरु की,
आनंद ही आनंद बरस रहा, बलिहारी ऐसे सतगुरु की,
पाया पाया पाया, मैं ऐसा सतगुरु पाया,
बलिहारी मैं जावां, मैं ऐसा सतगुरु पाया,
पाया पाया पाया, मैं ऐसा सतगुरु पाया,
बलिहारी मैं जावां, मैं ऐसा सतगुरु पाया।


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