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बड़े करुणामयी है सीतापति

  • Bade Karunamayi Hai Sitapati

बड़े करुणामयी है सीतापति,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मगर ।
है दयावान उनसा नही और कोई,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने ।।

गीध को अपने हाथों में लेकर के जब,
आंख से आपने आंसू बहाया किये ।
किया निज कर से तारन तरण गीध का,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने ।।

किया अधरम अहिल्या से जब इंद्र ने,
क्रोध से पति के श्रापित अहिल्या हुई ।
छू के चरणों से पावन किया था उसे,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने ।।

जाति की भीलनी बूढ़ी शबरी के घर,
आप बहुचे पुजारिन बड़ी खुश हुई ।
“राजेंद्र”जूठे ही फल खा उधारा उसे,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने ।।

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