अंबे माँ दुर्गे माँ
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अंबे माँ दुर्गे माँ, सब तेरी हीं कृपा-०२
मैंने माँगा था,
मैंने माँगा था, उससे भी ज्यादा दिया-०२
अंबे माँ दुर्गे माँ, सब तेरी हीं कृपा-०२
मैंने माँगा था,
मैंने माँगा था, उससे भी ज्यादा दिया-०२
मैंने मांगी थी, माथे की बिंदिया ओ माँ,
तूने हाथों में मेहँदी, रचा हीं दिया,
मैंने मांगी थी, माथे की बिंदिया ओ माँ,
तूने हाथों में मेहँदी, रचा हीं दिया,
सपना पूरा किया,
सपना पूरा किया, मुझे सब दे दिया,
मुझे सब दे दिया, तूने सिंदूर,
तूने सिंदूर लगा के सुहागन किया,
मैंने माँगा था, उससे भी ज्यादा दिया,
अंबे माँ दुर्गे माँ, सब तेरी हीं कृपा-०२
मैंने माँगा था,
मैंने माँगा था, उससे भी ज्यादा दिया-०२
और इस भजन का भी श्रवण करें: मैया मोरे अंगना आन पधारियो
मैं तो बन के आयी थी, भिखारन ओ माँ,
सब कहते थे मुझको, यूँ बांझन ओ माँ,
मैं तो बन के आयी थी, भिखारन ओ माँ,
सब कहते थे मुझको, तू बांझन ओ माँ,
तूने गोद भर दिया, मुझको लाला दिया-०२
मुझको लाला ये,
मुझको लाला ये दे के, उजागर किया,
मैंने माँगा था, उससे भी ज्यादा दिया,
अंबे माँ दुर्गे माँ, सब तेरी हीं कृपा-०२
मैंने माँगा था,
मैंने माँगा था, उससे भी ज्यादा दिया-०६