अगर तुम्हारा धमाणा में दरबार नहीं होता

  • agar tumhara dhamana me darbar nahin hota

अगर तुम्हारा धमाणा में दरबार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबो का कभी पार नहीं होता

सारी दुनिया से मैं तो हार गया
रोते रोते तेरे दरबार गया
लगाया गले मुझे सहारा दिया
डूबती नइया को किनारा दिया
अगर तुम्हारे जैसा वहां दातार नही होता
तो बेड़ा गरीबो का कभी पार नहीं होता

अँधेरे बादल गम के छाये थे
कोई ना अपना,सभी पराये थे
थाम के हाँथ मेरा साथ दिया
जीवन में खुशियों की सौगात दिया
अगर तेरी नजरो में मेरा परिवार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबों का कभी पार नहीं होता

अगर तुम्हारा धमाणा में दरबार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबो का कभी पार नहीं होता

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