रेवा जी के घाट खड़ी मैं रोज निहारू बाट

  • Reva Ji Ke Ghat Khadi Main Roj Niharu Baat

रेवा जी के घाट खड़ी
मैं रोज निहारू बाट
गजानंद आ जाना।।

रेवा जी के घाट खड़ी
मैं रोज निहारू बाट
गजानंद आ जाना।।

खाने को है नहीं प्रभुजी
क्या तो खिलाऊ मैं।।

रुखा सुखा भात
भात में पड़ी हुई है छाछ
गजानंद खा जाना
गजानंद आ जाना
गजानंद आ जाना।।

रेवा जी के घाट खड़ी
मैं रोज निहारू बाट
गजानंद आ जाना

चखने को नहीं है प्रभुजी
क्या तो चाखाऊ मैं

खट्टे मीठे बेर
बेर का लगा हुआ है धेर
गजानंद चाख जाना
गजानंद आ जाना
गजानंद आ जाना।।

रेवा जी के घाट खड़ी
मैं रोज निहारू बाट
गजानंद आ जाना

पीने को नहीं है प्रभुजी
क्या तो पिलाउ मैं
ठंडा ठंडा नीर कुए पे
निश दिन पदति भीड़
गजानंद पी जाना
गजानंद आ जाना
गजानंद आ जाना।।

रेवा जी के घाट खड़ी
मैं रोज निहारू बाट
गजानंद आ जाना।।

सोने को है नहीं प्रभुजी
कह तो सुलाउ मैं।।

टूटी सी है खाट
खाट पे बिच्छी हुए है तात
गजानंद सो जाना
गजानंद आ जाना
गजानंद आ जाना।।

रेवा जी के घाट खड़ी
मैं रोज निहारू बाट
गजानंद आ जाना।।

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