मन्नत वाले गणराजा सच्चा है दरबार यहां का पुरी होती मुरादे
सच्चा है दरबार यहां का
पुरी होती मुरादे
मन्नत वाले गणराजा
मन्नत वाले गणराजा।।
जबलपुर के तुम हो राजा
सिद्धिविनायक बुद्धि विधाता
सबके पालन हार हो देवो
मन्नत वाले गणराजा।।
सबसे पहले तुम्हें माने
चरण कमल में शीश झुके।।
विद्या का भंडार हो देवा
मन्नत वाले गणराजा।।
जो भी इस दरबार में आए
खाली झोलिया भर के जाए।।
ऐसा है दरबार देवा का
मन्नत वाले गणराजा।।
शिव शक्ति का रूप हो देवा
तुम्हारी सेवा से मिलता है मेवा।।
सजल नयन बलिहार है देवा
मन्नत वाले गणराजा।।
सच्चा है दरबार यहां का
पुरी होती मुरादे
मन्नत वाले गणराजा।।