चार भुजा धारी जी मूषक की सवारी
गणपति जी महाराज जी
मेरी विपति हारो मेरे राजा जी
शुभ और लाभ के देव निराले
करो कारज रास गजराजा जी।।
चार भुजा धारी जी मूषक की सवारी
गणपति देवा तेरे जौ बलिहारी
चार युगो से चार भुजाये
धरती गगन पाताल गुन गाये
गुन तेरा गाये देव सृष्टि ये सारी
चार भुजा धारी जी मूषक की सवारी।।
जो ध्याने नाम तुम्हारा
जीवन में फेल उजियारा।।
भक्तो जानो के तुम हितकारी
चार भुजा धारी जी मूषक की सवारी।।
हे शिव नंदन गुर्जा प्यारे
मांगी गिल तेरी राह निहारे
शुभ और लाभ के पार उपकारी
चार भुजा धारी जी मूषक की सवारी।।