दो धागों का बंधन

  • Do Dhagon Ka Bandhan

दो धागों से बांधा बहना नें, इसका तो कोई मोल नहीं,
तेरा मेरा ये रिश्ता गहरा है, तुझसा कोई और नहीं,
कोई और नहीं।

बचपन की वो बातें याद आती है, तू मेरी ख़ामोशी भी जान जाती है,
मैं लड़ते थे दोनों माँ डांट देती थी, तुझे बचाने को मैं साथ देती थी,
दो धागों से बांधा बहना नें, इसका तो कोई मोल नहीं,
तेरा मेरा ये रिश्ता गहरा है, तुझसा कोई और नहीं,
कोई और नहीं।

तेरे संग हीं था लड़ना, तुझसे हीं था प्यार,
मेरी चीज ना छूना कहता था हर बार,
मेरी गुड़िया तोड़ी उसके बाल भी खींचे,
तेरे नोट्स फाड़े तेरे कान भी खींचे,
दो धागों से बांधा बहना नें, इसका तो कोई मोल नहीं,
तेरा मेरा ये रिश्ता गहरा है, तुझसा कोई और नहीं,
कोई और नहीं।

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बड़े हुए तो क्या बचपन है वही,
राखी पर तेरी आँखे नाम क्यों हुई,
तुझ बिन तनहा तनहा घर है लगे,
तुझसे हीं घर में रौनक है सजे,
भाई है तू मेरा मैं बहना तेरी,
तेरे दिल में रहना ख्वाइस है मेरी,
तेरे संग मैं बांटू अपनी सारी ख़ुशी,
तेरे गम में हूँ मैं सच्ची सखी,
दो धागों से बांधा बहना नें, इसका तो कोई मोल नहीं,
तेरा मेरा ये रिश्ता गहरा है, तुझसा कोई और नहीं,
और नहीं, कोई और नहीं, और नहीं।


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