गौरा तेरी भंगिया कमाल रे

  • gaura teri bhangiyan kamal re

गौरा तेरी भंगिया कमाल रे
तेरा इनकार करना नही ठीक है
मेरा भंगिया से नाता बड़ा नजदीक है
मेरी इतनी सी बात जरा कर ख्याल रे
गौरा तेरी भंगिया बड़ी कमाल रे
घोट के तू ल्यादे ना करे टाल रे

भांग बिना रंग नही जमता है गोरा
हरि हरि भंगिया का नही कोई तोड़ा
बार बार करता हूं ये सवाल रे
गौरा बही करती हुआ बेहाल रे
घोट के तू ल्यादे ना करे टाल रे

मुझको तू गोरा क्यों इतना सताए
घोटती ना भंगिया क्यों नखरे दिखाए
इतना क्यों तरसाए कर निहाल रे
ध्यान नही लगता मेरी कर संभाल रे
घोट के तू ल्यादे ना करे टाल रे

अब तो पिला दे तू भर भर के लोटा
भांग बिना हो जाग रोला यो मोटा
हो जागी आँख मेरी लाल लाल रे
झगड़े न गोरा कोई हल निकाल रे
घोट के तू ल्यादे ना करे टाल रे

जब जब तू गुस्से में भंगिया पिलाए
भांग का नशा गोरा दुगना हो जाए
करती हरीश मस्त हाल चाल रे
मोहन कौशिक भंगिया तो है बवाल रे
घोट के तू ल्यादे ना करे टाल रे

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