भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं

  • Bhole Ki Masti Mein Magan Rahun Main

ओ भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ,
भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ,
मैं शमशानों में बैठा रहूं, और शिव शंकर का चेला हूँ,
चेला हूँ, चेला हूँ,
भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ।

सर्दी हो या गर्मी हो, चाहे पड़े कड़कती धूप हो,
मेरी आंख्या में भोलेनाथ का, दीखता हरदम रूप हो,
दीखता हरदम रूप हो,
बचपन से रे जवानी तक, उनके चरणों में खेला हूँ,
खेला हूँ, खेला हूँ,
ओ भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ।

और इस भजन का भी अवलोकन करें: ओ महादेवा ओ शिव शंकर

तन पे भस्म लगा करके मैं, ध्यान उसी का करता हूँ,
हरदम उस किलों में रहता, नहीं किसी से डरता हूँ,
नहीं किसी से डरता हूँ,
ओ गली गली में बनके फकीरा, फिरता मैं तो अकेला हूँ,
अकेला हूँ, अकेला हूँ,
भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ।

हांथ कमंडल लेके चिमटा, भजन उसी के गाऊं मैं,
कोई कहता पागल मुझको, धुना राख लगाऊं मैं,
धुना राख लगाऊं मैं,
ॐ नमः शिवाय मैं जपता, ढूढूं उसका गेला हूँ,
गेला हूँ, गेला हूँ,
भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ।

ओ सुनील शर्मा विजय राजपूत, कांवड़ लेने जाते हैं,
उनके संग में मैं भी जाऊं, बम बम बोले जाते हैं,
बम बम बोले जाते हैं,
ओ लेलो भोले अपनी शरण में, दुःख दर्दों को झेला हूँ,
झेला हूँ, झेला हूँ,
भोले की मस्ती में मगन रहूं मैं, भक्त बड़ा अलबेला हूँ।


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