म्हारा भोला लहरी थारी तो जटा में गंगा रम रही रे
म्हारा भोला लहरी थारी तो जटा में गंगा रम रही रे
माथे उप्पर चंद्र बिराजे लहरी ,
म्हारा भोला लहरी तन में भस्म थांके रम रही रे …
आंक धतूरा को भोक लगत लहरी ,
म्हारा भोला लहरी भंगिया घुट रही न्यारी रे …..
पहनो मृग छाल भोले ओढे नहीं साल लहरी ,
म्हारा भोला लहरी गल साँपन की माला डल रही रे …
म्हारा भोला लहरी थारी तो जटा में गंगा रम रही रे ..