पर्वत पे आजा मेरी गौरा क्यों देखे गौरा खड़ी खड़ी

  • parvat pe aaja meri gora kyon dekhe gora khadi khadi

पर्वत पे आजा मेरी गौरा क्यों देखे गौरा खड़ी खड़ी

मैं कैसे आऊं मेरे भोले मेरे से प्यारी तुम्हें गंगा हैं
तू तो पगली है मेरी गौरा गंगा तो जटाओं की शोभा है
पर्वत पे आजा…..

मैं कैसे आऊं मेरे भोले मेरे से प्यारा तुम्हें चंदा है
तू तो पगली है मेरी गौरा मस्तक की शोभा चंदा है
पर्वत पे आजा…….

मैं कैसे आऊं मेरे भोले मेरे से प्यारे तुम्हें सर्पा हैं
तू तो पगली है मेरी गौरा गले की शोभा सर्पा हैं
पर्वत पे आजा……

मैं कैसे आऊं मेरे भोले मेरे से प्यारा डमरू है
तू तो पगली है मेरी गौरा डमरू हाथों की शोभा है
पर्वत पे आजा……..

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