नगर में योगी आया भेद कोई समझ ना पाया

  • nagar me yogi aaya bhed koi samajh na paya

ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे, ऊँचा तेरा दरबार
कैलाश वाले शिवजी हम करते हैं तुझे प्रणाम

नगर में योगी आया, भेद कोई समझ ना पाया
अजब है तेरी माया गजब का खेल रचाया
सबसे बड़ा है तेरा नाम, तेरा नाम
भोले नाथ, भोलेनाथ, भोले नाथ

अंग विभूत, गले रुण्ड माला, शेषनाग लिपटायो,
बांको तिलक भाल पर सोहे नन्द घर अलख जगायो ।
नगर में योगी आया, भेद कोई समझ ना पाया…

योगी रे योगी आया, कैलाशो से योगी आया
अंग विभूत, गले रुण्ड माला, नन्द द्वार डमरू खडकाया
सबसे बड़ा है तेरा नाम, तेरा नाम
भोले नाथ, भोलेनाथ, भोले नाथ

ले भिक्षा निकली नंदरानी, कंचन थाल धरायो,
भीक्षा लेकर जाओ काहे मेरो लाल डरायो..
नगर में योगी आया, भेद कोई समझ ना पाया…

ना चाहिए तेरी दौलत दुनिया, ना कंचन ना माया
तेरे लाल का दर्श करादे मैं दर्शन को आया
नगर में योगी आया, भेद कोई समझ ना पाया…

पञ्च भोर में परिक्रमा करके, शिंगि नाद बजायो,
सुरदास बलिहारी कन्हैया जुग जुग जिये तेरे जायो…


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