देखो जी जगन्नाथ की रथ यात्रा है आई

  • dekho ji jaganaath ki rath yatra hai aayi

रथयात्रा की कोटिन-कोटि बधाई !
जगन्नाथ जी की निकली सवारी

धुन- मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना

देखो जी जगन्नाथ की, रथ यात्रा है आई।
सज-धज के बैठे रथ में, इक बहन अरू दो भाई।।
देखो जी………

सोने का रथ बना है, जड़े हीरे रत्न मोती।
दिव्य झांकी दिव्य शिंगार की, शोभा कही न जाई॥
देखो जी………

स्वागत को सज गई है, सारी पुरी नगरिया,
रंग रस बरस रहे है, महकी है पुरवाई॥
देखो जी………

रथ साथ संत भगत है, पीछे पीछे खुदाई।
रथ खींचे नाचे गावें, प्रभु को सब रिझावें,
हरिनाम की ‘‘मधुप हरि’’ गुंजार दे सुनाई॥
देखो जी………

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