झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

  • jholi to bhar gai hai niyat bhari nhi hai

झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है,
बेसबर बंदे तेरी कश न मिटि नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

जो मिल गया है उसपर तुझको कहा सबर है,
जो नहीं मिला है उस पर हर पल तेरी नजर है,
तेरी कामनाओ का तो कोई छोर ही नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

तेरी ख्वैशिये हज़ारो खड़ी अपने सिर उठा कर,
किस के हुए है पुरे सपने सभी यहाँ पर,
सपने बड़े बड़े है बड़ी ज़िंदगी नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

मालिक ने तुझको भेजा यहाँ देवता बना कर,
तू उसी की रोशनी है वो तुझी में है उजागर,
मनुष्य जनम तुझको यही मिला नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

हरी नाम का रतन धन जिसको भी मिल गया है,
पट झग सा उसका जीवन गुलशन सा खिल गया,
दो यहाँ की बादशाही उस से बड़ी नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

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