क्या लेके तू आया जग में
क्या लेके तू आया जग में,
क्या लेके तू जायेगा,
मुठ्ठी बांध के आया जग में,
हाथ पसारे जायेगा,
धन दौलत में फंसा हुआ,
सब यहीं धरा रह जायेगा,
राम नाम तू जप रे मनवा,
वही साथ में जायेगा,
क्या लेके तू आया जग में,
क्या लेके तू जायेगा।
माँ बाप भाई बंधु सखा,
सब जग का मेला है,
कौन किसी का साथ निभाए,
जग तो झूठा खेला है,
मोह की डोरी छोड़ रे मनवा,
साँच का रास्ता पायेगा,
राम भजन जो गुनगुनाये,
वही पार उतर जायेगा,
क्या लेके तू आया जग में,
क्या लेके तू जायेगा।
और इस भजन को भी देखें: रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने
लालच के जाल में फंसकर,
जीवन ब्यर्थ गंवाएगा,
मृगतृष्णा के पीछे भागे,
हाथ कुछ ना आएगा,
तन तो मिट्टी का ढ़ेला है,
मन हीं प्रभु तक जायेगा,
राम नाम में जो रम जाये,
वही मोक्ष को पाएगा,
क्या लेके तू आया जग में,
क्या लेके तू जायेगा।
दिन दो दिन का मेला जग में,
सबकुछ मिट जायेगा,
माया जाल में फंस के मन,
खुद को भूल जायेगा,
कबीर कहे जाग रे मनवा,
साँच को जो अपनाएगा,
नाम अमर का ले सहारा,
भव सागर पार लगाएगा,
क्या लेके तू आया जग में,
क्या लेके तू जायेगा।
राजा रंक सभी मिट्टी के,
कौन यहाँ टिक पायेगा,
आज हंसे जो सुख में मगन,
कल रोता रह जायेगा,
राम नाम ही सच्चा साथी,
सदा साथ निभाएगा,
जो प्रेम से नाम जापे,
भय-सागर पार लगाएगा,
क्या लेके तू आया जग में,
क्या लेके तू जायेगा,
मुठ्ठी बांध के आया जग में,
हाथ पसारे जायेगा।

